कविता अखबार फूल दूसरों के काम आना मकान किरन आज भी है.. तनहा शायर हूं इतनी बेखोफी इतनी ख़ुशी के मशीन का इज़हार न कर राशीद इतनी बेखोफी इतनी ख़ुशी हिंदी पत्थर लम्हे जिंदगी के साइकल हिन्दीकविता विरह पौधे

Hindi वो पत्थर के मकान Poems